Hartalika Teej: हरितालिका तीज की व्रत कथा, क्यों मनायी जाती है हरितालिका तीज

Hartalika Teej

लेखक: रंजीत शर्मा

Hartalika Teej: हरितालिका तीज 2024 का व्रत इस बार आज के दिन 6 सितंबर, को देशभर में मनाया जा रहा है। इस दिन का इंतजार सभी महिलाये करती है। इस दिन सुहागन महिलायें अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है। जानेगे क्यों मनाई जाती है, हरितालिका तीज और इसकी व्रत कथा भी देखेंगे।

Hartalika Teej

हरितालिका तीज: हरितालिका तीज का व्रत आज के दिन रखा जा रहा है, यह व्रत भाद्रपद मास की तृतीया तिथि को रखा जाता है। इस व्रत को करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है। पुराणों में लिखा है कि, हरितालिका तीज का संबंध माता पार्वती और भगवान शिव से है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। इसे हरतालिका व्रत भी कहते है।

Hartalika Teej की कथा


हरितालिका तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती की कथा सुनाई जाती है। इस कथा के माध्यम से इस पर्व के महत्व और धार्मिक आस्थाओं को समझा जाता है। आइए सुनते है इस पर्व की पावन कथा-

हरितालिका तीज व्रत कथा:

एक समय बहुत समय पहले हिमालय की गुफा में देवी पार्वती (सती) और भगवान शिव निवास करते थे। देवी पार्वती ने बचपन से ही भगवान शिव को अपना पति मान लिया था और उनके प्रति गहरी भक्ति रखी थी। लेकिन, उनके माता-पिता हिमालयन राजा और रानी ने भगवान शिव को स्वीकार नहीं किया क्योंकि वे एक तपस्वी और तपस्वि थे।

एक दिन, देवी पार्वती के माता-पिता ने उनके विवाह की योजना बनाई और एक राजा के पुत्र को उनके लिए चुना। पार्वती इस प्रस्ताव से असहमत थीं क्योंकि वे शिव से विवाह करना चाहती थीं। उन्होंने अपने माता-पिता की इच्छाओं का विरोध किया और भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या करने का निर्णय लिया।

विवाह के दिन देवी पार्वती ने माता-पिता से बचने के लिए अपने सखियों के साथ जंगल में चली गईं। वहाँ उन्होंने कठोर तपस्या की और भगवान शिव की आराधना की। उनकी तपस्या बहुत कठिन और समर्पित थी, जिसमें उन्होंने केवल फल-फूल खाकर और ध्यान करके भगवान शिव को प्रसन्न किया। इस प्रकार, उन्होंने अपने माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध जाकर, अपनी भक्ति और समर्पण के माध्यम से भगवान शिव को जीत लिया।

भगवान शिव पार्वती की तपस्या और समर्पण से प्रभावित हुए और अंततः उन्हें स्वीकार किया। इसके बाद, देवी पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ और वे एक साथ सपरिवार रहने लगे। इस कथा के माध्यम से यह सिखाया जाता है कि सच्ची भक्ति और समर्पण से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है और इच्छाओं को पूरा किया जा सकता है।

हरितालिका तीज के दिन महिलाएं इस कथा को सुनती हैं, उपवास करती हैं, और भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं। यह पर्व भक्ति, समर्पण, और परिवार की खुशहाली का प्रतीक होता है। और यह व्रत माता पार्वती की तपस्या को भी दर्शाता है। अपने मनचाहे वर को पाने के लिए भी यह व्रत रखा जाता है।

हरितालिका तीज का शुभ मुहूर्त 

हिन्दू पंचांग के अनुसार, हरितालिका तीज का व्रत भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तिथि तृतीया को रखा जाता है। इस बार तृतीया तिथि 5 सितंबर की दोपहर यानि कल दोपहर 12 बजकर 22 मिनट पर शुरू हो चुकी है। जिसका समापन आज 6 सितंबर को दोपहर 03 में 3 बजे होगा। उदयतिथि के चलते हरितालिका का व्रत 6 सितंबर को मनाया जा रहा है।

हरितालिका तीज और तृतीया तिथि आज दोपहर 3 बजे तक है, इसीलिए आज पूजन मुहूर्त 3 बजे तक है। इस बीच आप पूजन कर सकते है।

इसलिए मनाई जाती है हरितालिका तीज

  • भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा: यह पर्व देवी पार्वती और भगवान शिव के दिव्य संबंधों की पूजा और सम्मान के लिए मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवी पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की थी।
  • माता पार्वती और शिव जी की कथा: हरितालिका तीज से जुड़ी एक प्रमुख कथा यह है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए अपने माता-पिता की अनुमति के बिना और कठिन तपस्या के माध्यम से शिव को प्रसन्न किया। इस दिन पार्वती ने शिव की आराधना की और कठिन व्रत रखा, जिससे भगवान शिव उनके साथ विवाह के लिए तैयार हुए।
  • विवाह और परिवार की समृद्धि: इस व्रत को विशेष रूप से विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं, जबकि अविवाहित महिलाएं अच्छे जीवन साथी की प्राप्ति के लिए व्रत करती हैं। महिलाएं उपवास करती हैं, व्रत की विधिपूर्वक पूजा करती हैं, और इस दिन को खास बनाने के लिए विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान करती हैं।

इस पर्व के दौरान महिलाएं विशेष पारंपरिक वस्त्र पहनती हैं, और इस दिन मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना करती हैं। साथ ही, इस दिन महिलाएं अपने परिवार के साथ मिलकर इस पर्व को आनंदपूर्वक मनाती हैं। इस दिन महिलायें कथा सुनती है।

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